A Simple Key For Subconscious Mind Unveiled

लकीरें देख कर बोला, "तु मौत से नहीं, किसी की

वो याद बहुत आते हैं जो हुमको भुला बैठे हैं।

सारा दिन गुजर जाता है खुद को समेटने में;

कौन पूछता है पिंजरे में बंद परिंदों को,

खुद धुंधला पड़ गया हूँ मैं, उसे याद करते-करते;

तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं;

सारी महफिल भूल गए बस वही click here एक चेहरा याद रहा!

कभी वो शख्स मेरी ही सांसों से जिया करता था।

जब आँखों की दीवारें गीली हुई उसकी यादो से;

क्योकि याद किसी को करना read more निशानी है भूल जाने की!

उसकी यादों में सारा वक़्त गुजर जाता है।

आप को क्या पता मर कर भी हम आप की याद में साँसे लिया करते हैं।

तो क्यों नहीं यह एहसास दिलाती हैं तुझे।

किसी ने हमसे पूछा कि वादों और यादो में क्या फर्क होता है?

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