लकीरें देख कर बोला, "तॠमौत से नहीं, किसी की
वो याद बहà¥à¤¤ आते हैं जो हà¥à¤®à¤•à¥‹ à¤à¥à¤²à¤¾ बैठे हैं।
सारा दिन गà¥à¤œà¤° जाता है खà¥à¤¦ को समेटने में;
कौन पूछता है पिंजरे में बंद परिंदों को,
खà¥à¤¦ धà¥à¤‚धला पड़ गया हूठमैं, उसे याद करते-करते;
तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ याद के जब ज़ख़à¥à¤® à¤à¤°à¤¨à¥‡ लगते हैं;
सारी महफिल à¤à¥‚ल गठबस वही click here à¤à¤• चेहरा याद रहा!
कà¤à¥€ वो शखà¥à¤¸ मेरी ही सांसों से जिया करता था।
जब आà¤à¤–ों की दीवारें गीली हà¥à¤ˆ उसकी यादो से;
कà¥à¤¯à¥‹à¤•à¤¿ याद किसी को करना read more निशानी है à¤à¥‚ल जाने की!
उसकी यादों में सारा वक़à¥à¤¤ गà¥à¤œà¤° जाता है।
आप को कà¥à¤¯à¤¾ पता मर कर à¤à¥€ हम आप की याद में साà¤à¤¸à¥‡ लिया करते हैं।
तो कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं यह à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ दिलाती हैं तà¥à¤à¥‡à¥¤
किसी ने हमसे पूछा कि वादों और यादो में कà¥à¤¯à¤¾ फरà¥à¤• होता है?